Protests erupt outside Kasba Police station as 3 arrested in alleged Kolkata college gang rape
इससे पहले 1999 के आम चुनाव में सपा को 41 लोकसभा सीटों पर जीत मिली थी। फिर 2004 में उसके 36 सांसद जीते थे।
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 में 400 पार के नारे के साथ उतरी भाजपा को निराशा हाथ लगी है। अब तक आए रुझानों में वह लगभग 240 सीटों पर ही आगे है। इस तरह बहुमत से भी 32 सीट पीछे रह गई है। फिर भी एनडीए के सहयोगी दलों के साथ वह सरकार बनाने की ओर है। इन नतीजों के बीच सबकी नजर उत्तर प्रदेश पर ही है। राज्य में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने 37 सीटों पर बढ़त कायम रखी है। यदि रुझान नतीजों में तब्दील होते हैं तो 25 साल बाद उसका यह सबसे अच्छा प्रदर्शन होगा। इससे पहले 1999 के आम चुनाव में सपा को 41 लोकसभा सीटों पर जीत मिली थी। फिर 2004 में उसके 36 सांसद जीते थे।
यही नहीं 2009 में भी उसका आंकड़ा 23 सीटों का ही रहा था। फिर 2014 के आम चुनाव में तो भाजपा की लहर के दौरान 2014 में उसे महज 5 सीटें ही मिल पाई थीं। ऐसे में इस बार 37 सीटों पर जीत मिलना उसके लिए अहम होगा। 2019 के आम चुनाव में भी वह 5 पर ही ठहर गई थी। इस तरह से देखें तो उसे 6 गुना ज्यादा सीटें मिल जाएंगी। यह सफलता अखिलेश यादव के लिए भी बड़ी राहत लेकर आई है। 2017 में विधानसभा चुनाव हारने से पहले उन्हें 2014 के आम चुनाव में हारना पड़ा था। फिर 2019 के आम चुनाव और 2022 में भी अखिलेश यादव के हाथ निराशा ही लगी थी।
उनका 10 सालों का इंतजार अब जाकर खत्म हुआ है। राज्य में उनकी पार्टी सबसे ज्यादा सीटें जीतती दिख रही है। यही नहीं सपा के साथ आई कांग्रेस भी लंबे समय बाद उत्तर प्रदेश में 8 सीटें हासिल कर सकती है। इस तरह अखिलेश यादव और राहुल गांधी का यूपी के दो लड़कों वाला नारा काम कर गया। समाजवादी पार्टी ने इस जीत के साथ ही अपने वोट प्रतिशत में भी बड़ा इजाफा किया है। इस बार उसे 32 फीसदी से ज्यादा वोट मिल रहे हैं। हालांकि दिलचस्प बात यह है कि राज्य में 41 फीसदी वोट पाने के बाद भी भाजपा को 33 सीटों पर ही बढ़त मिल पाई है।